काश्मीर के मुदों पर चर्चा रोज हजार हुईं!वो चर्चा एक अभिमानी थी,वो चर्चा एक लाचारी थी,वो चर्चा एक मजबूरी थी,वो चर्चा एक बीमारी थी,वो चर्चा एक अधूरी थी,वो चर्चा एक अधूरी हैं। घाटी के पत्थरबाजों की मनसा थी गद्दारी सी!कह दिया मीडिया अखबारों ने,उन आतंकी गद्दारों पर,क्यों रोज फेंकते पत्थर थे?उन मुस्तेदी पहरेदारों पर।वो रोजContinue reading “कश्मीर …..??”
