खलिस्ताँ

भारत का गौरव गान सुनकर,सबकी लार टपकती हैं,तुम्हें क्या चाहिये भारत माता से?अब खुलकर के बतलाओ भी,भारत के अमर जवानों को,कब तक तुम आँख दिखाओगे,भारत के सोये सिंह जागे तो,यकीनन खलिस्ताँ कहलाओगे।। हम संवाद भूलकर अब वार करते हैं,हम आतंकवाद का तिरस्कार करते हैं।ए पाकिस्तान तब तक तू नही मानेगा,हम पाकिस्तान का बहिष्कार करते हैं।।Continue reading “खलिस्ताँ”

अफ़साने

वो रुत गयी, वो जामने गए,वो अपने, वो पराये हो गए,वो हमसफ़र, वो बेगाने हो गए,वो काबू से, बेकाबू हो गए।। वो रिश्तों के धागे कच्चे हो गए,वो अपनों के बंधन अफ़साने हो गए।। वो रात गयी, वो दिन गए,वो साथी, वो बेसाथी हो गए,वो लोग, वो अनजाने हो गए,वो अनुज से, अग्रज हो गए।।Continue reading “अफ़साने”

परिवार बनाम शत्रु

रक्त पिपासु थे शत्रु मगर,अपनो जितने नहीं,उन्होंने तो बदन चीरा मगर,अपनों ने तो कलेजा चीर निकाला।। कहते हैं लोग जालिम होते हैं मगर,अपने भी कहा काम होते हैं,लोग तो धन दौलत खाते हैं मगरअपने तो घर बार खा जाते हैं।। शत्रु का धर्म हैं छल करना मगर,अपनो का धर्म हैं अपनाना,शत्रु भी पिघल जाते हैंContinue reading “परिवार बनाम शत्रु”

अंधा भारत

गज़ब अमर भावना की, एक निराली सी परिपाटी हैं।उस अजब निराली परिपाटी की, शौणित हमारी माटि हैं।। राजस्थान की धरती पर, साँगा वीर प्रताप हुए।घमासान सियासी धरती पर, नित हरामी जयचंद हुए।। लोक लाज की रक्षा हेतू, कितने वीर शहीद हुए।सियासत के पगफेरों में, कितने लोक शरीक हुए।। अरे कुछ चंद रुपये ले लेते, देशContinue reading “अंधा भारत”

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