वो रुत गयी, वो जामने गए,वो अपने, वो पराये हो गए,वो हमसफ़र, वो बेगाने हो गए,वो काबू से, बेकाबू हो गए।। वो रिश्तों के धागे कच्चे हो गए,वो अपनों के बंधन अफ़साने हो गए।। वो रात गयी, वो दिन गए,वो साथी, वो बेसाथी हो गए,वो लोग, वो अनजाने हो गए,वो अनुज से, अग्रज हो गए।।Continue reading “अफ़साने”
