अगर-मगर

हाँ हैं बहुत झुट्ठे मगर,आप भी दूध के धुले नही,अगर होते दूध के धुले तो,आप गवाही देते नहीं फिरते।। हाँ हैं बहुत कमी मगर,आप भी चाँद की चांदनी नहीं,अगर होते आप परिपूर्ण तो,आप पर चाँद की तरह दाग नहीं होते।। हाँ हैं बहुत बुरे मगर,आप भी कुछ अच्छे नहीं,अगर होते आप अच्छे तो,सरेआम हमें बुराContinue reading “अगर-मगर”

अधूरा साथ…😢

रुख़शत कर गए हमारी जिंदगी से,मगर इक दिन तो जाना था,चले जाना था जल्दी मगर,इतना जल्दी नहीं कि चंद घंटों में। सब्र नहीं था आपको मगर,हमें तो बतलाना था,लफ्ज़ बोलकर तो नही मगर,इशारों में तो समझना था। अनजान इशारे किये होंगे मगर,हम तो अनजाने में अनजाने थे,हम दुआ कर सकते हैं मगर,हर जगह आपके अफ़सानेContinue reading “अधूरा साथ…😢”

राजनीति से अनभिज्ञ

राजनीति कोई चर्चा का विषय नही हैं, बल्कि उसे समझने का विषय हैं। पहला प्रश्न तो ये हैं, की राजनीति कहते किसे है और क्यों कहते हैं?  क्या हम छोटे रूप से ये कह सकते हैं कि, वह एक स्थान जहाँ पर कोई शासन या प्रशासन संबंधी क्रियाएं निष्पादित या संपादित होती हो। परन्तु येContinue reading “राजनीति से अनभिज्ञ”

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