बेटी को न्याय

बेटी को न्याय देखा रात में एक सपना था, उठी मानकर अपना था।फटकार सुनी तड़के उठकर, कैसी विपदा को आना था।। पापा को माँ से कहते सुना, छोरी अपनी अठारह में खड़ी।बात सगाई की सुनते ही, कॉलेज की ओर मैं दौड़ खड़ी।कॉलेज का फाटक निकट सामने, मानो बहुत हूँ दूर खड़ी।सहेलियों संग अठखेली करती, देखोContinue reading “बेटी को न्याय”

अंधा भारत

गज़ब अमर भावना की, एक निराली सी परिपाटी हैं।उस अजब निराली परिपाटी की, शौणित हमारी माटि हैं।। राजस्थान की धरती पर, साँगा वीर प्रताप हुए।घमासान सियासी धरती पर, नित हरामी जयचंद हुए।। लोक लाज की रक्षा हेतू, कितने वीर शहीद हुए।सियासत के पगफेरों में, कितने लोक शरीक हुए।। अरे कुछ चंद रुपये ले लेते, देशContinue reading “अंधा भारत”

Design a site like this with WordPress.com
Get started