खलिस्ताँ

भारत का गौरव गान सुनकर,
सबकी लार टपकती हैं,
तुम्हें क्या चाहिये भारत माता से?
अब खुलकर के बतलाओ भी,
भारत के अमर जवानों को,
कब तक तुम आँख दिखाओगे,
भारत के सोये सिंह जागे तो,
यकीनन खलिस्ताँ कहलाओगे।।

हम संवाद भूलकर अब वार करते हैं,
हम आतंकवाद का तिरस्कार करते हैं।
ए पाकिस्तान तब तक तू नही मानेगा,
हम पाकिस्तान का बहिष्कार करते हैं।।

हम हंस-हंस कर अपनाते है,
तो रो-रो कर के आता हो।
तुझसे पाक संभलता नहीं है,
कायर POK पर हक जमाता हैं।।

पाक तू गलतफहमी पाल रहा हैं,
वीर भारत के बारों में।
थर-थर कांप उठता हैं तू,
सोच 71 के बारे में।।

हिंदुस्तान की पाक धारा है,
पाप पाक का अब ना सहेंगे।
देखा भारत की ओर अगर तू,
तेरी पाक धरा नापाक करेंगें।।

हैं अगर युद्ध की अभिलाषा तो,
तेरी युद्ध की परिभाषा बदलेंगे।
तू युद्ध से भाग खड़ा होगा,
जब भारत के सौ-सौ सिंह लड़ेंगे।।

Published by vspawar285

simplicity

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